नवसंवत्सर समिति काशी मातृशक्ति 22 मार्च को सायं 3 बजे से अस्सी घाट पर स्वागत एवं अभिनन्दन होगा। काशी के 50 से अधिक संगठन एक बैनर तले एकत्रित होकर इस पुनीत कार्य को सम्पन्न करेंगे ।महाभारत का एक सुप्रसिद श्लोक है 'धर्मो रक्षति रक्षितः भगवान कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुये कहते है कि तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा। धर्म की रहा. का तात्पर्य है धर्म प्रद्दत जीवन शैली अपनाने का। वर्तमान समय में इसकी अत्यंत आवश्यकता है। जहाँ पाश्चात्य के प्रमाव प्रभावित हो कर हम नव वर्ष इस कदर मनाने लगे है कि वो हमारे राग रंग मे समा गया है अतः उनसे मुक्त होने के लिए भारतीय नवसंवत्सर के प्रति बान जागरण की आवश्यकता है।इसी कारण इस अमृतकाल में नवसंवत्सर समिति की कार्यकारिणी की सदस्याओं ने स्वतः स्फूर्त होकर वृहद रूप से नवसंवत्सर मनाने का निश्चय किया है। यह कार्यक्रम कहीं से राजनीति से प्रेरित या संरक्षित नहीं है। यह काशी की प्रत्येक मातृशक्ति का स्वपन है जो 22 मार्च को आंशिक रूप से पूर्ण होगा।इससे और भी बृहद रूप देने कल्पना है। काशी नही बल्कि पूरे देश में ही और जोश से मनाया जाय। काशी की मातृशक्ति द्वारा अपने तरह का एक पहला कार्यक्रम है। मातृशक्ति में वह क्षमता है जो भारतीय संस्कृति परंपरा और सनातन मूल्यों को संरक्षित कर आने वाली पीढ़ी में संचालित करें और एक सनातन परिवार समाज और राष्ट्र का निर्माण करें।22 मार्च को अस्सी घाट पर लगभग 2000 महिलाएं पीले परिधान में एकत्रित होकर सामूहिक स्तुति करेंगे और मां गंगा को दीपदान करेंगे और साथ ही संकल्प लेंगे कि हम अपने सनातन मूल्यों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे प्रातः काल में मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएंगी। आज पत्रकार वार्ता में समिति की कार्यकारिणी की सुनिधि शुक्ला डॉक्टर शारदा सिंह कविता डॉ सुनीता डोंगरे पुष्पा जी उपस्थित रहीं।

नवसंवत्सर समिति काशी मातृशक्ति  22 मार्च को सायं 3 बजे से अस्सी घाट पर स्वागत एवं अभिनन्दन होगा। काशी के 50 से अधिक संगठन एक बैनर तले एकत्रित होकर इस पुनीत कार्य को सम्पन्न करेंगे ।

महाभारत का एक सुप्रसिद श्लोक है 'धर्मो रक्षति रक्षितः भगवान कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुये कहते है कि तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा। धर्म की रहा. का तात्पर्य है धर्म प्रद्दत जीवन शैली अपनाने का। वर्तमान समय में इसकी अत्यंत आवश्यकता है। 

जहाँ पाश्चात्य के प्रमाव प्रभावित हो कर हम नव वर्ष इस कदर मनाने लगे है कि वो हमारे राग रंग  मे समा गया है अतः उनसे मुक्त होने के लिए भारतीय नवसंवत्सर के प्रति बान जागरण की  आवश्यकता है।

इसी कारण इस अमृतकाल में नवसंवत्सर समिति की कार्यकारिणी की सदस्याओं ने स्वतः स्फूर्त होकर वृहद रूप से नवसंवत्सर मनाने का निश्चय किया है। यह कार्यक्रम कहीं से राजनीति से प्रेरित या संरक्षित नहीं है। यह काशी की प्रत्येक मातृशक्ति का स्वपन है जो 22 मार्च को  आंशिक रूप से पूर्ण होगा।

इससे और भी बृहद रूप देने कल्पना है। काशी नही बल्कि पूरे देश में ही और जोश से मनाया जाय। काशी की मातृशक्ति द्वारा अपने तरह का एक पहला कार्यक्रम है। 

मातृशक्ति में वह क्षमता है जो भारतीय संस्कृति परंपरा और सनातन मूल्यों को संरक्षित कर आने वाली पीढ़ी में संचालित करें और एक सनातन परिवार समाज और राष्ट्र का निर्माण करें।
22 मार्च को अस्सी घाट पर लगभग 2000 महिलाएं पीले परिधान में एकत्रित होकर सामूहिक स्तुति करेंगे और मां गंगा को दीपदान करेंगे और साथ ही संकल्प लेंगे कि हम अपने सनातन मूल्यों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे प्रातः काल में मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएंगी। आज पत्रकार वार्ता में समिति की कार्यकारिणी की सुनिधि शुक्ला डॉक्टर शारदा सिंह कविता डॉ सुनीता डोंगरे पुष्पा जी उपस्थित रहीं।

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