दहेज एक अभिशाप बदलाव व नशा-मुक्ति की पहल

दहेज एक अभिशाप बदलाव व नशा-मुक्ति की पहल



संवाददाता मसर्रत अली 


ककराला वरिष्ठ पत्रकार, समाजसेवी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष सद्भावना पर्यावरण मंच हामिद अली खां राजपूत तथा प्रोफेसर हकीम मौलाना अफरोज (प्रसिद्ध समाजसेवी) ने कहा कि दहेज आज भी समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। शादी-ब्याह में लाखों रुपये खर्च करना,



 महंगे तोहफ़े देना, बारात को बार-बार खिलाना, कपड़े व नकद रकम देना – ये सब न केवल बेटियों के माता-पिता को कर्ज़ में डुबोते हैं, बल्कि समाज के लिए भी कलंक बनते जा रहे हैं

दोनों समाजसेवियों ने कहा कि अल्लाह के वास्ते इन गंदे रस्म-रिवाजों को खत्म कर दो, ताकि हर बाप कर्ज़ में डूबने से बच सके और अपनी बेटी को इज्ज़त से विदा कर सके। दहेज लेने और देने वालों को समाज से बहिष्कृत किया जाना चाहिए। दहेज लेना समाज में एक कलंक है

नशा-मुक्ति के लिए भी अभियान

हामिद अली खां राजपूत और प्रो. हकीम मौलाना अफरोज ने यह भी कहा कि दहेज उन्मूलन के साथ-साथ समाज को नशा-मुक्त बनाने के लिए भी व्यापक अभियान चलाया जाएगा। दरगाहों के सज्जादानशीनों, मस्जिदों के इमामों और मठों के धर्माचार्यों से मिलकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के हर ज़िले में



 जाकर दहेज व नशा-मुक्ति दोनों विषयों पर संवाद किया जाएगा और निकाह पढ़ाने वाले इमामों पर भी यह दबाव बनाया जाएगा कि बिना दहेज के निकाह कराएं और नशा-मुक्त समाज के निर्माण में सहयोग दें।

हमारा लक्ष्य समाज को दहेज की कुप्रथा व नशाखोरी से मुक्त करना
बेटियों के माता-पिता को कर्ज़ के बोझ से बचाना दहेज व नशा लेने वालों का सामाजिक बहिष्कार धार्मिक व सामाजिक नेताओं को जोड़कर जन-जागरण चलाना
दोनों समाजसेवियों ने अपील की कि समाज के हर वर्ग को इस मुहिम से जुड़कर दहेज व नशा-मुक्त समाज के निर्माण में सहयोग देना चाहिए

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