उन्नाव सीएमओ ने की अपील बताया कि मिलावटी रंगों से बचें, हर्बल रंगों का करें प्रयोगउन्नाव। होली के रंग खुशियों में भंग भी डाल सकते हैं। ऐसे में बाजार में मिलने वाले मिलावटी रंगों की जगह फूलों से तैयार हर्बल रंगों का प्रयोग करें। रंगों में मरकरी सल्फाइड, कॉपर सल्फेट, क्रोमियम आयोडाइड, लेड, पारा, पिसा हुआ शीशा व कांच, बालू, मिट्टी, चीनी डस्ट, स्टोन डस्ट, डीजल व ग्रीस तक की मिलावट होती है। ये केमिकल और मिलावटी पदार्थ रंग के जरिए त्वचा पर चिपककर नुकसान पहुंचाते हैं। पानी में घुलने वाले रंगों में सूखे रंगों से अधिक केमिकल होते हैं। सीएमओ डॉ. सत्य प्रकाश के अनुसार चाइना रंग, पेंट कलर, डार्क कलर, ब्लैक ऑयल कलर अधिक खतरनाक हैं। अगर मुंह में रंग चला जाए तो फेफड़े और गुर्दे भी खराब हो सकते हैं। उन्नाव के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सत्य प्रकाश ने जनपदवासियों से अपील करते हुए कहा कि संभलकर होली के हुड़दंग और फाग की मस्ती मनाएं क्योंकि बाजार में मिलने वाले रंग शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। बाजार में मौजूद रासायनिक रंगों से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। यह शरीर के भीतर से बाहरी त्वचा को बुरी तरह प्रभावित करता हैं। इतना ही नहीं चिकित्सकों का कहना है कि यह आख या कान में जाने से अंदरूनी अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। अगर इसकी अधिकता या इसका असर अधिक हो तो जान जाने का भी खतरा हो सकता है।

उन्नाव से ब्यूरो चीफ मोहम्मद जमाल की खास रिपोर्ट 

उन्नाव सीएमओ ने की अपील  बताया कि मिलावटी रंगों से बचें, हर्बल रंगों का करें प्रयोग

उन्नाव। होली के रंग खुशियों में भंग भी डाल सकते हैं। ऐसे में बाजार में मिलने वाले मिलावटी रंगों की जगह फूलों से तैयार हर्बल रंगों का प्रयोग करें। रंगों में मरकरी सल्फाइड, कॉपर सल्फेट, क्रोमियम आयोडाइड, लेड, पारा, पिसा हुआ शीशा व कांच, बालू, मिट्टी, चीनी डस्ट, स्टोन डस्ट, डीजल व ग्रीस तक की मिलावट होती है। ये केमिकल और मिलावटी पदार्थ रंग के जरिए त्वचा पर चिपककर नुकसान पहुंचाते हैं। पानी में घुलने वाले रंगों में सूखे रंगों से अधिक केमिकल होते हैं। सीएमओ डॉ. सत्य प्रकाश के अनुसार चाइना रंग, पेंट कलर, डार्क कलर, ब्लैक ऑयल कलर अधिक खतरनाक हैं। अगर मुंह में रंग चला जाए तो फेफड़े और गुर्दे भी खराब हो सकते हैं। उन्नाव के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सत्य प्रकाश ने जनपदवासियों से अपील करते हुए कहा कि संभलकर होली के हुड़दंग और फाग की मस्ती मनाएं क्योंकि बाजार में मिलने वाले रंग शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। बाजार में मौजूद रासायनिक रंगों से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। यह शरीर के भीतर से बाहरी त्वचा को बुरी तरह प्रभावित करता हैं। इतना ही नहीं चिकित्सकों का कहना है कि यह आख या कान में जाने से अंदरूनी अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। अगर इसकी अधिकता या इसका असर अधिक हो तो जान जाने का भी खतरा हो सकता है।

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