*उद्योगपति खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में करें निवेशः प्रहलाद पटेल*रोहित सेठवाराणसी:उ.प्र.ः 25 फरवरी 2023ः केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने उद्योगपतियों से मंत्रालय की विभिन्न एजेंसियों से भयमुक्त होकर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह स्वर्णिम अवसर है उद्योगपतियों को इसका लाभ उठाना चाहिये। श्री पटेल शनिवार को यहां प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। श्री पटेल का जोर खासतौर से ’मोटे अनाज’ के क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने पर था। उन्होंने कहा कि दुनिया में मोटे अनाज का जितना उत्पादन होता है उसमें से 40 प्रतिशत मोटा अनाज भारत में होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। दुनियाभर में मोटे अनाज के नये नये उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसकी मांग बढ़ रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग द्वारा उद्योगपतियों को निवेश के लिये शुरू की गई अनेक योजनाओं को गिनाते हुये श्री पटेल ने कहा, ’’यदि कच्चा माल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, आपूति श्रंृखला मजबूत है तो मेरा मानना है कि इससे उद्योग को मजबूती मिलेगी।''श्री पटेल का इशारा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और मानकों को लेकर काम करने वाली विभिन्न सरकारी एजेंसियों की तरफ था। उन्होंने कहा कि हम गुणवत्ता के बजाय मात्रा बढ़ाने की तरफ बढ़ गये हैं। ’’हमें उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर विचार बनाने की जरूरत है। हमें अपने मानदंड तय करने होंगे। दुनिया में मांग है, जिन लोगों ने हमें मोटे अनाज से दूर धकेला था आज वही इसकी मांग कर रहे हैं। लागत का फेक्टर भी है लेकिन यदि कच्चा माल है, मजबूत आपूर्ति श्रृंखला उपलब्ध है तो उद्योग जगत को आगे बढ़ना चाहिये।’’श्री पटेल ने देश में उपलब्ध जल संसाधनों के तेजी से होते दोहन की तरफ भी उद्योगपतियों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि हमारा मूल खानपान मोटे अनाज ही था लेकिन हमने गेहूं, धान और गन्ने की अधिक पानी वाली फसलों को तेजी से अपनाया। ’’हम शक्कर, चावल और आटे के निर्यातक बन गये, जिनकी फसलों में पानी का इस्तेमाल अधिक होता है, लेकिन आप मिलेट, सेमि-मिलेट की किसी भी फसल को देखेंगे तो उसमें पानी कम लगता है। यानि हमने अपने जल संसाधनों का दोहन अधिक किया। भारत में दुनिया की कुल आबादी के 18 प्रतिशत लोग हैं जबकि पीने योग्य कुल पानी का मात्र चार प्रतिशत ही उपलब्ध है। इस दिशा में भी हमें सोचना होगा। हमें खेती का पैटर्न बदलना होगा। प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। आने वाली पीढ़ी का भी इन पर अधिकार है।’’भारतीय उद्योगों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपनी ब्रांडिंग करनी चाहिये। बाहर की कंपनियां भारत में आकर अपना ब्रांड चलाती हैं लेकिन कोई भी भारतीय कंपनी ऐसा नहीं कर पाई है। सरकार ब्रांड मार्केटिंग में धन देने को तैयार है, उत्पाद की गुणवत्ता और स्वच्छता की गारंटी के लिये खाद्य प्रयोगशालायें सुलभ होनी चाहिये जिसकी रिपोर्ट दो दिन के भीतर मिलनी चाहिये। वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने इस अवसर पर कहा कि उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पूंजी निवेश के लिये कई तरह के अवसर उपलब्ध कराता है। राज्य में उद्यमियों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बेहतर परियोजनायें खड़ी करने के लिये सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। एसोचैम की एफएमसीजी परिषद के सह-अध्यक्ष और धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड की माउथ फ्रेशनर इकाई के प्रमुख सी के शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि पोषण के क्षेत्र में इन दिनों तेजी से बदलाव आ रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव को देखते हुये खान पान में मोटे अनाज की तरफ बदलाव बेहतर कदम है। उत्तर प्रदेश को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका में लाकर राज्य को आर्थिक लिहाज से मजबूत बनाया जा सकता है और यह सभी पक्षों के लिये लाभकारी होगा। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण:एपीडाः के क्षेत्रीय प्रमुख डा. सी बी सिंह ने उद्योगपतियों के साथ निर्यात संवर्धन के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि एपीडा वित्तीय सहायता के जरिये अनूसूचित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में उद्योगों की मदद करता है। उत्तर प्रदेश में अनाज उत्पादन में 20 प्रतिशत भागीदारी के साथ कच्चे माल की व्यापक उपलब्धता है। नांगिया एंडरसेन एलएलपी के प्रबंधक भागीदार श्री सूरज नांगिया ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों के बारे में बताया। उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों और उत्पादन शंकुलों के साथ ही किसानों को बाजार के साथ जोडे जाने पर जोर दिया।वहीं इंडो-अमेरिकन चैंबर आफ कामर्स की वाराणसी चैप्टर के चेयरमैन और रामोवल्र्ड ग्रुप के सीईओ राजेश कुमार तिवारी ने खाद्य प्रसस्करण उद्योग की क्षमता बढ़ाने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं के जरिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को तकनीकी तौर पर आधुनिक बनाने, प्रौद्योगिकी उन्नयन और उपलब्ध क्षमता के अनुरूप विस्तार पर जोर दिया जाना चाहिये। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसियेसन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर के चैधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिहाज से प्रचुर मात्रा में संसाधनों की उपलब्धता है और विविध प्रकार का उत्पादन यहां होता है, यही वजह है कि राज्य निर्यात के लिहाज से सबसे आगे है।
वारानसी से रोहित सेठ की खास रिपोर्ट
रोहित सेठ
वाराणसी:उ.प्र.ः 25 फरवरी 2023ः केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने उद्योगपतियों से मंत्रालय की विभिन्न एजेंसियों से भयमुक्त होकर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह स्वर्णिम अवसर है उद्योगपतियों को इसका लाभ उठाना चाहिये।
श्री पटेल शनिवार को यहां प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
श्री पटेल का जोर खासतौर से ’मोटे अनाज’ के क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने पर था। उन्होंने कहा कि दुनिया में मोटे अनाज का जितना उत्पादन होता है उसमें से 40 प्रतिशत मोटा अनाज भारत में होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। दुनियाभर में मोटे अनाज के नये नये उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसकी मांग बढ़ रही है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग द्वारा उद्योगपतियों को निवेश के लिये शुरू की गई अनेक योजनाओं को गिनाते हुये श्री पटेल ने कहा, ’’यदि कच्चा माल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, आपूति श्रंृखला मजबूत है तो मेरा मानना है कि इससे उद्योग को मजबूती मिलेगी।''
श्री पटेल का इशारा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और मानकों को लेकर काम करने वाली विभिन्न सरकारी एजेंसियों की तरफ था। उन्होंने कहा कि हम गुणवत्ता के बजाय मात्रा बढ़ाने की तरफ बढ़ गये हैं। ’’हमें उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर विचार बनाने की जरूरत है। हमें अपने मानदंड तय करने होंगे। दुनिया में मांग है, जिन लोगों ने हमें मोटे अनाज से दूर धकेला था आज वही इसकी मांग कर रहे हैं। लागत का फेक्टर भी है लेकिन यदि कच्चा माल है, मजबूत आपूर्ति श्रृंखला उपलब्ध है तो उद्योग जगत को आगे बढ़ना चाहिये।’’
श्री पटेल ने देश में उपलब्ध जल संसाधनों के तेजी से होते दोहन की तरफ भी उद्योगपतियों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि हमारा मूल खानपान मोटे अनाज ही था लेकिन हमने गेहूं, धान और गन्ने की अधिक पानी वाली फसलों को तेजी से अपनाया। ’’हम शक्कर, चावल और आटे के निर्यातक बन गये, जिनकी फसलों में पानी का इस्तेमाल अधिक होता है, लेकिन आप मिलेट, सेमि-मिलेट की किसी भी फसल को देखेंगे तो उसमें पानी कम लगता है। यानि हमने अपने जल संसाधनों का दोहन अधिक किया। भारत में दुनिया की कुल आबादी के 18 प्रतिशत लोग हैं जबकि पीने योग्य कुल पानी का मात्र चार प्रतिशत ही उपलब्ध है। इस दिशा में भी हमें सोचना होगा। हमें खेती का पैटर्न बदलना होगा। प्राकृतिक संसाधनों को बचाना होगा। आने वाली पीढ़ी का भी इन पर अधिकार है।’’
भारतीय उद्योगों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपनी ब्रांडिंग करनी चाहिये। बाहर की कंपनियां भारत में आकर अपना ब्रांड चलाती हैं लेकिन कोई भी भारतीय कंपनी ऐसा नहीं कर पाई है। सरकार ब्रांड मार्केटिंग में धन देने को तैयार है, उत्पाद की गुणवत्ता और स्वच्छता की गारंटी के लिये खाद्य प्रयोगशालायें सुलभ होनी चाहिये जिसकी रिपोर्ट दो दिन के भीतर मिलनी चाहिये।
वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने इस अवसर पर कहा कि उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पूंजी निवेश के लिये कई तरह के अवसर उपलब्ध कराता है। राज्य में उद्यमियों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बेहतर परियोजनायें खड़ी करने के लिये सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
एसोचैम की एफएमसीजी परिषद के सह-अध्यक्ष और धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड की माउथ फ्रेशनर इकाई के प्रमुख सी के शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि पोषण के क्षेत्र में इन दिनों तेजी से बदलाव आ रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव को देखते हुये खान पान में मोटे अनाज की तरफ बदलाव बेहतर कदम है। उत्तर प्रदेश को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका में लाकर राज्य को आर्थिक लिहाज से मजबूत बनाया जा सकता है और यह सभी पक्षों के लिये लाभकारी होगा।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण:एपीडाः के क्षेत्रीय प्रमुख डा. सी बी सिंह ने उद्योगपतियों के साथ निर्यात संवर्धन के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि एपीडा वित्तीय सहायता के जरिये अनूसूचित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में उद्योगों की मदद करता है। उत्तर प्रदेश में अनाज उत्पादन में 20 प्रतिशत भागीदारी के साथ कच्चे माल की व्यापक उपलब्धता है।
नांगिया एंडरसेन एलएलपी के प्रबंधक भागीदार श्री सूरज नांगिया ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों के बारे में बताया। उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों और उत्पादन शंकुलों के साथ ही किसानों को बाजार के साथ जोडे जाने पर जोर दिया।
वहीं इंडो-अमेरिकन चैंबर आफ कामर्स की वाराणसी चैप्टर के चेयरमैन और रामोवल्र्ड ग्रुप के सीईओ राजेश कुमार तिवारी ने खाद्य प्रसस्करण उद्योग की क्षमता बढ़ाने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं के जरिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को तकनीकी तौर पर आधुनिक बनाने, प्रौद्योगिकी उन्नयन और उपलब्ध क्षमता के अनुरूप विस्तार पर जोर दिया जाना चाहिये।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसियेसन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर के चैधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिहाज से प्रचुर मात्रा में संसाधनों की उपलब्धता है और विविध प्रकार का उत्पादन यहां होता है, यही वजह है कि राज्य निर्यात के लिहाज से सबसे आगे है।
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